Hathras Case: 2 जुलाई को हाथरस में एक बहुत बड़ा हादसा हुआ जिसमें 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी, एक कथित बाबा के सत्संग में लोग जुटे थे. वहां पर भगदड़ मच गई और उस भगदड़ में जो है. 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जब लोगों की मौत हुई तो उनको अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया अस्पतालों की व्यवस्थाएं कैसी थी. वहां पर किस तरीके की अव्यवस्था थी. जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ(CM Yogi) जब अस्पतालों (Hospital)का दौरा करने के लिए पहुंचे तो आनन फानन में कैसे प्रशासन की ओर से लीपापोती की गई.
Hathras Case: मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जब अस्पतालों का दौरा करने के लिए पहुंचे तो आनन फानन में कैसे प्रशासन की ओर से लीपापोती की गई किस तरीके से वहां पर तमाम चीजें रख दी गई जो उससे पहले मौजूद नहीं थी. और वहां पर क्या कुछ हुआ प्रशासन ने कैसे इस पूरे मामले पर लीपा पोती की बात कि तमाशा हो रहा है. जो हाथरस का हादसा हुआ उसपे और उस तमाशे की सबसे बड़ी तस्वीर यह हमारे सामने दिखाए जरा मुख्यमंत्री गए हुए हैं. अस्पताल में जायजा लेने के लिए यह सब कुछ इसमें कोई भी चीज मुख्यमंत्री का जाना या उनसे हालचाल पूछना सब कुछ अच्छा है. लेकिन यह जो फलों की टोकरी रखी हुई है. यह बताता है कि कैसे प्रशासन अपनी कालिक छुपाने के लिए जो है. लीपापोती कर रही है. कल तक जब मरीज अस्पताल में भटक रहे थे. तब एंबुलेंस नहीं थी. लोगों को को टेंपो ट्रेलर में ले लात कर ले जाया गया अस्पताल ऑक्सीजन नहीं थी. तब जो है डॉक्टर नहीं मिल रहे थे. ये यह फलों की टोकरी के यह जो अधिकारी कर रहे हैं. क्या इनके फफक बारात वहां सजी हुई है. जो यह अधिका ये फलों की टोकरी चुनरी वाली सगाई वाली ले जाक रख दिए हैं. यह तो एक तरीके से मजाक उड़ाना हो गया ना इस हादसे का इतने लोगों की जान गई है. मैं आपको इस इस अस्पताल के यह जो अस्पताल है. हाथरस का जिला अस्पताल है. और फिर पता नहीं प्रधान मुख्यमंत्री को यह तस्वीर दिखी कि नहीं दिखी और उन्होंने बाद में अधिकारियों से पूछा कि नहीं पूछा लेकिन सारी दुनिया को दिखी और सब यह पूछ रहे हैं. कि इस तरीके का तमाशा जो होता है. तो अधिकारियों की जिम्मेदारी क्यों नहीं तय होती जब अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि भाई यह हुआ कैसे तब यह फलों की टोकरी सजा करके इस तरीके का व्यवहार कर रहे हैं. कल मुख्यमंत्री आने वाले हैं. तमाम बड़े अधिकारी आने वाले हैं. तो रातो रात अस्पताल चमकाने का काम भी जारी है. झाड़ू लग रहा है. पोछा लग रहा है. और चाक चौबंद अब व्यवस्था की जा रही है हालांकि जब आप इस अस्पताल के पीछे वाले हिस्से में जाएंगे जहां पर मोर चूरी है. तो खुले में बर्फ की सिलियो पर लोगों के शव को रखा गया है. क्योंकि उस हिसाब से यहां व्यवस्था है नहीं लगा हु नहीं अभी लगा था. जैसे मरी जाने लगे तुरंत लगाया था जब आग लगेगी तब कुआ खो देंगे एसी लगेगा ये एसी आपको दिख रहा था. एसी(AC) कल साफ करके धुला गया है. यह अस्पताल में अभी मैं बोर्ड देख रहा था. इसमें मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता की नेम प्लेट लगी नेम लिखा हुआ है. शायद उद्घाटन या जो भी किया हो यहां की व्यवस्थाएं जो है. गुप्त वंश के समय की रही होंगी उस तरीके की व्यवस्था कर रखी थी. जब गुप्त काल चल रहा था. तब ये देखिए रात के समय इस तरीके से अस्पताल में लीपापोती चल रही थी. जब यह पता चल गया मुख्यमंत्री आने वाले हैं साफ सफाई चल रही थी. इस तरीके से यहां पे लगा कर के ये साफ एसी साफ कर रहे हैं. लोगों को जब आप देख रहे हो आप हकीकत को मुख्यमंत्री को देखने दो ना यह कौन सा तरीका है, कि यह जो जो भी सीएमओ(CMO) हैं. वहां के या जो भी अधिकारी हैं मैं जब मोरबी में था मोरबी में जब पुल हादसा हुआ तो मोरबी में भी हमने यही चीज देखी कि प्रधानमंत्री को जाना था उससे पहले रंगाई पताई शुरू हो गई गनीमत है कि यहां रंगाई पुताई नहीं हुई लेकिन आप इस व्यवस्था को दुरुस्त रखिए ना आप अपने अस्पतालों को तैयार रखिए कि भाई जब आम आदमी की जिंदगी हादसों के हवाले ही है. तो अस्पतालों को भी तैयार रखिए और ना हादसा हो तब भी आम आदमी जब जाता होगा इलाज कराने उसके लिए तो अस्पताल तैयार रहेंगे सिर्फ जो है. जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बना देने से नाम धर देने से कि हमारे यूपी में इतने जिला अस्पताल हो गए मेडिकल कॉलेज हो गए उससे आपकी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं सुधरेगी.Hathras Case
Hathras Case: हाथरस में कितने लोगो की मौत्न हो गयी
Hathras Case: 100 से ज्यादा लोग को लोगों की जान गई उसमें लापरवाही भाई भीड़ में लोग कुचले पहली लापरवाही प्रशासन की कितनी पब्लिक गदर हुई उसको रोकने का उसको बंदोबस्त क्यों नहीं किया गया. उतनी भीड़ क्यों आने दी गई वहां के बाद जब अस्पताल जाना था. तो अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा था. लोगों को वो जो पिकअप वैन होती है. उनमें लोगों की लाशें भर के लाई गई हमने देखा इसी हाथरस में कंधे पर लग कर के लोग आ रहे थे. जो अधिकारी हैं. इनकी कोई मुख्यमंत्री ने दौरा किया मुख्यमंत्री वहां से चले गए उसके बाद क्या किसी की जिम्मेदारी तय होगी जांच रिपोर्ट आएगी मैं बता रहा हूं वहां के एडीजी हैं. अनुपमा कुल श्रेष्ठ आगरा जोन की शलभ माथुर है. आईजी हैं. चैत्री भी जो कमिश्नर मंडला आयुक्त है. अलीगढ़ मंडल की आशीष कुमार है. जो डी हाथरस के निपुण अग्रवाल एसपी हाथरस के यह जो पांच लोग हैं. या फिर जो और भी तमाम अधिकारी हैं क्या इन लोगों की कोई जिम्मेदारी तय होगी इन लोगों से पूछा जाएगा कि भाई आपके लेवल पर क्या गड़बड़ियां हुई एसआईटी आएगी जांच बनेगी रिपोर्ट बनेगी 2008 में मेहरानगढ़ के किले में राजस्थान में भगदड़ हुई थी. 216 लोग मारे गए थे. तब से तब खूब जांच रिपोर्ट बनी कमेटी बनी बड़ा उग्र प्रदर्शन और बड़ा यह था. कि सरकार कुछ करेगी आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं सामने आई 2013 में कुंभ के दौरान जब भगदड़ मची थी. स्टेशन पे बाद में तब 42 लोग मरे थे. आज तक उस जांच रिपोर्ट का क्या हुआ. जांच रिपोर्ट लेकर करेगा क्या आदमी जो लाशें हैं. जो चेहरा है वो क्या है. वो सिर्फ संख्या मात्र है, अभी आज हम आप बात कर रहे हैं, चार दिन बाद सब भूल जाएंगे कोई नहीं पूछेगा बाबा पर जिनको लेकर के कहा जा रहा है किन एफआईआर होनी चाहिए क्यों नहीं हो रही किस दबाव में नहीं हो रही वोट बैंक की राजनीति है, भाई लोग सवाल तो उठाएंगे ना कि किस किस दबाव में जब अगर कोई घटना होती है, और उस घटना से जुड़ा कोई व्यक्ति होता है, तो उसपे एफआईआर तो एटलीस्ट होगी सेवादारों पर मुकदमा हो रहा है, अब आप कहोगे कि बाबा चले गए थे, बाबा ये हो गए थे, भाई भीड़ तो वही बुलाए भीड़ तो उन्हीं की वजह से आई थी, कोई किसी की कोई जिम्मेदारी तय होगी एफआईआर तक में नाम भाई जांच होगी..Hathras Case