Introduction
भारतीय क्रिकेट जगत में कई कहानियाँ प्रेरणा से भरी होती हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी भी होती हैं जो समाज में बदलाव लाने के लिए जरूरी सवाल उठाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है Anaya bangar की, जो पहले आर्यन बांगड़ के नाम से जानी जाती थीं। भारत के पूर्व क्रिकेटर और कोच संजय बांगड़ की संतान, अनया ने हाल ही में अपना जेंडर बदल कर एक ट्रांसवुमन बनने की प्रक्रिया पूरी की। अपनी इस यात्रा के माध्यम से अनया ने न सिर्फ अपने संघर्षों को साझा किया है, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए खेल में अपनी पहचान बनाने का साहसिक कदम भी उठाया है।
Anaya bangar की क्रिकेट के प्रति जुनून
अनया का क्रिकेट के प्रति लगाव बचपन से ही रहा है। अपने पिता को क्रिकेट में सफलता प्राप्त करते देख, अनया ने भी अपने जीवन में क्रिकेट को ही अपने करियर के रूप में चुना था। वह मुंबई के इस्लाम जिमखाना क्लब में क्लब क्रिकेट खेला करती थीं और बाद में इंग्लैंड के लीसेस्टरशायर के हिंक्ले क्रिकेट क्लब का भी हिस्सा रहीं। बाएं हाथ की बल्लेबाज अनया ने क्लब स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया और अपने पिता की तरह अपने खेल में उत्कृष्टता हासिल की।
उनका सपना अपने पिता की तरह भारत का प्रतिनिधित्व करना था, और इसके लिए उन्होंने सालों तक कठिन परिश्रम किया। क्रिकेट अनया के लिए केवल खेल नहीं, बल्कि जुनून, प्रेरणा, और अपने सपनों का माध्यम था। उनके अनुसार, “क्रिकेट मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है। मैंने हमेशा अपने पिता को देश के लिए खेलते हुए देखा और उनसे प्रेरणा ली। क्रिकेट मेरा पहला प्यार, मेरी महत्वाकांक्षा और मेरा भविष्य था।”
Anaya bangar लिंग परिवर्तन की प्रक्रिया और उससे जुड़े संघर्ष

अनया ने अपनी पहचान पाने के लिए लिंग परिवर्तन का निर्णय लिया और एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया से गुजरीं। इस प्रक्रिया में उन्हें हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) से गुजरना पड़ा, जो कि एक जटिल और शारीरिक रूप से थकाने वाला चरण था। उन्होंने 11 महीने की इस यात्रा में शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना किया, जिससे उनके शरीर में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। HRT के चलते अनया ने अपनी शारीरिक ताकत, मांसपेशियों की क्षमता और एथलेटिक शक्ति को खो दिया, जो कि एक क्रिकेटर के लिए आवश्यक होती है।
उन्होंने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में इस प्रक्रिया के दौरान आई चुनौतियों को साझा किया। अनया के अनुसार, “एक ट्रांसवुमन के रूप में HRT के कारण मेरे शरीर में कई बदलाव आए। मांसपेशियों का आकार और ताकत धीरे-धीरे घटती गई, और उन एथलेटिक क्षमताओं का नुकसान हुआ जिन पर मैंने क्रिकेट के लिए भरोसा किया था।”
खेल में ट्रांसजेंडर एथलीटों के लिए अवसर की कमी
एक ओर जहाँ अनया ने अपने वास्तविक पहचान को पाने का साहसिक कदम उठाया, वहीं दूसरी ओर खेल में ट्रांसवुमन के लिए स्पष्ट नियमों की कमी ने उनके सामने नए तरह की समस्याएं खड़ी कर दीं। अनया ने खुलासा किया कि क्रिकेट में ट्रांसवुमन के लिए कोई उचित नियमावली या मार्गदर्शन नहीं है, जो कि उनके जैसे एथलीटों के लिए बड़ी चुनौती है।
हाल ही में इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने फैसला लिया कि 2025 से ट्रांसजेंडर महिलाएं जो पुरुष यौवन (puberty) से गुजरी हैं, उन्हें महिला क्रिकेट के एलीट स्तर पर खेलने की अनुमति नहीं होगी। इसी प्रकार, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने भी नवंबर 2023 में नियम लागू किया, जिसमें पुरुष यौवन से गुजरी ट्रांसजेंडर महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला मैचों में खेलने से रोक दिया गया है। यह नए नियम अनया जैसी ट्रांसवुमन क्रिकेटरों के लिए बड़ा झटका साबित हुए हैं।
अनया का कहना है कि, “यह अत्यंत पीड़ादायक है कि ट्रांस वुमन क्रिकेटर्स के लिए उचित नियम नहीं हैं। ऐसा लगता है कि सिस्टम मुझे खेल से बाहर कर रहा है, न कि मेरी काबिलियत की कमी की वजह से, बल्कि इसलिए कि नियम मेरी वास्तविकता से मेल नहीं खाते। मेरे टेस्टोस्टेरोन का स्तर एक सामान्य सिसजेंडर महिला के समान 0.5 nmol है, इसके बावजूद मुझे पेशेवर स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल रहा है।”
समाज और खेल में स्वीकृति की आवश्यकता
अनया की कहानी केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है, बल्कि यह समाज और खेल में व्यापक स्वीकृति और समानता की आवश्यकता को दर्शाती है। ट्रांसजेंडर एथलीटों के लिए उचित नीतियां न केवल उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, बल्कि उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी हैं। अनया की यह कहानी समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि खेल में भी जेंडर की सीमाओं को मान्यता देने की आवश्यकता है।
किसी खेल में भाग लेने का अधिकार केवल जन्म से मिली पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि व्यक्ति के मेहनत, प्रतिबद्धता और कौशल के आधार पर होना चाहिए। अनया जैसी ट्रांसजेंडर एथलीटों के संघर्ष को मान्यता देना और उनके लिए खेल में उचित नीतियां बनाना खेल जगत के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए बढ़ती चुनौतियाँ
हालांकि कुछ खेल संगठनों ने ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए नीतियों को ढीला किया है, लेकिन कई संगठनों ने कड़े नियम लागू किए हैं, जो कि अनया जैसी एथलीटों के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं। इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के नए नियम, जिसमें ट्रांस वुमन खिलाड़ियों को एलीट स्तर पर खेलने से रोक दिया गया है, न केवल क्रिकेट में बल्कि अन्य खेलों में भी ट्रांसजेंडर एथलीटों के सामने आने वाली चुनौतियों को दर्शाते हैं।
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने भी ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए सख्त नियमों को लागू करने पर विचार किया है, जिसमें उनकी शारीरिक योग्यता और टेस्टोस्टेरोन स्तर के आधार पर अनुमति दी जाएगी। इस तरह के नियम ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए बाधा बन सकते हैं, विशेष रूप से उन खेलों में जहां शारीरिक क्षमता का महत्व अधिक होता है।
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